Wednesday, March 28, 2018

LALKITAB GRAMMAR#Kurbani Ke Bakre#कुर्बानी के बकरे


लाल किताब ग्रामर कक्षाएँ # कुर्बानी के बकरे # कुर्बानी के ग्रह # बलि के बकरे या ग्रह #
कुर्बानी के बकरे कुंडली में क्या प्रभाव देते हैं और इस सिद्धान्त का हम क्या लाभ उठा सकते हैं ?
कुर्बानी के बकरे का अर्थ यह है कि किसी भी ग्रह के परेशानी के समय में अपनी परेशानी को दूसरे ग्रह पर अपनी परेशानी डाल देना या दूसरे को आघात पहुँचाना l कहने का मतलब यह है कि हर ग्रह अपने बुरे समय में दूसरे ग्रह पर अपना बुरा असर देते हैं l
उदाहरण के लिए :-
* सूर्य जब भी खराब होता है जोकि मान-सम्मान तथा पिता से संबंध रखता है, उसमें कमी आएगी, नेतृत्व क्षमता में कमी आएगी और इसका सीधा असर केतु यानी पुत्र पर पड़ेगा, मान-सम्मान खराब होगा तो मान-सम्मान का झण्डा नीचे आएगा इसी तरह यदि हड्डियों से जुड़ी दिक्कत होगी तो हम उसे सूर्य से जुड़े मानते है जबकि रीढ़ की हड्डी केतु से संबंध रखती है l
इसी तरह गुरु जोकि ज्ञान, बरकत, वंश को आगे बढ़ाने में मदद करता है, घर के बड़े-बुजुर्ग गुरु हैं उनके खराब होने पर केतु खराबी आएगी तो फोड़े-फुंसी होंगे जोकि केतु है l
* बुध जोकि व्यापार से संबंध रखता है, शुक्र जोकि आपके ऐशो आराम है, ग्रहस्थी है यानी बुध व्यापार के खराब होने पर शुक्र यानी ग्रहस्थ जीवन में परेशानी होनी शुरू हो जाती है l
* शुक्र जब भी खराब होता है अपना असर चंद्रमा पर डालता है यानी आपने मकान बेचा, कोई वाहन बेचा जिससे मन खराब होगा जैसे कि आपने कोई कपड़ा खरीदा उस पर पैसा खर्च किया यानी चंद्रमा खर्च हुआ यानी नगद रुपया-पैसा l
* चंद्रमा जब भी खराब होता है तो अपना सारा असर सूर्य, गुरु, मंगल पर डालता है यानी जब आपका मन खराब होगा आपका आत्मविश्वास खराब होगा, आपका संयम खराब होगा, आपका confidence खराब होगा l
* कुंडली में शनि जब भी खराब होगा अपना असर राहु-केतु पर डालेगा, शनि दु:ख है, शनि आपकी कुंडली में खराब है तो राहु अचानक आपको चोट देगा, शनि खराब होने पर केतू के जरिए आपको पहले बीमारी का पता नहीं चलेगा जब तक वो नासूर वाली बीमारी बन जाएगी l
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